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तेलंगाना किसान मसीहा किसानों के नायक डोड्डी कोमारैया

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  तेलंगाना के किसान मसीहा शहीद सेनानी डोड्डी कोमारैया  डोड्डी कोमारैया की अमरता तेलंगाना में सशस्त्र संघर्ष की शुरुआत का मुख्य कारण थी। जब हम तेलंगाना सशस्त्र संघर्ष के इतिहास के बारे में सोचते हैं तो डोड्डी कोमारैया पहले व्यक्ति थे।  किसान मसीहा कहे जाने वाले क्रांतिकारी डोड्डी कोमारैया  का जन्म -  3  अप्रैल सन 1927 ई.  को वारंगल जिले के कादिवेड़ी ग्राम में एक सामान्य कुरुमा ( गड़रिया ) जाति से संबंधित चरवाहों के परिवार में हुआ था वारंगल जिला; वह तेलंगाना के लोगों के लिए एक उत्कृष्ट आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए गर्व का स्रोत हैं। आंध्र महासभा कम्युनिस्ट सोसाइटी तेलंगाना के गांवों में जागीरदारों, देशमुखों, जमींदारों, देशपांडे आदि के अत्याचारों से थके हुए लोगों के लिए एक प्रकाश स्तंभ की तरह दिखती थी। डोड्डी कोमारैया के बड़े भाई डोड्डी माल्या आंध्र महासभा समिति के सदस्य थे। अपने भाई के प्रभाव में, कोमारैया ने महसूस किया कि आंध्र महासभा चुनाव लड़ने का एक अच्छा मंच था विसुनूर देशमुख रामचंद्र रेड्डी के स्वामित्व वाले जनगामा तालुका में 60 गांव थे। रामचंद्र ...

तेलंगाना किसान मसीहा डोड्डी कोमारैया का इतिहास ?

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तेलंगाना के किसान मसीहा शहीद सेनानी डोड्डी कोमारैया  डोड्डी कोमारैया की अमरता तेलंगाना में सशस्त्र संघर्ष की शुरुआत का मुख्य कारण थी। जब हम तेलंगाना सशस्त्र संघर्ष के इतिहास के बारे में सोचते हैं तो डोड्डी कोमारैया पहले व्यक्ति थे।  किसान मसीहा कहे जाने वाले क्रांतिकारी डोड्डी कोमारैया  का जन्म -  3  अप्रैल सन 1927 ई.  को वारंगल जिले के कादिवेड़ी ग्राम में एक सामान्य कुरुमा ( गड़रिया ) जाति से संबंधित चरवाहों के परिवार में हुआ था वारंगल जिला; वह तेलंगाना के लोगों के लिए एक उत्कृष्ट आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए गर्व का स्रोत हैं। आंध्र महासभा कम्युनिस्ट सोसाइटी तेलंगाना के गांवों में जागीरदारों, देशमुखों, जमींदारों, देशपांडे आदि के अत्याचारों से थके हुए लोगों के लिए एक प्रकाश स्तंभ की तरह दिखती थी। डोड्डी कोमारैया के बड़े भाई डोड्डी माल्या आंध्र महासभा समिति के सदस्य थे। अपने भाई के प्रभाव में, कोमारैया ने महसूस किया कि आंध्र महासभा चुनाव लड़ने का एक अच्छा मंच था विसुनूर देशमुख रामचंद्र रेड्डी के स्वामित्व वाले जनगामा तालुका में 60 गांव थे। रामचंद्र रेड्डी ...

दुनिया की पहली जाति गड़रिया व दुनिया का इतिहास

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क्या आप जानते हैं कि दुनिया की सबसे पहली जाति गड़रिया है | जो पाषाण काल के आदिमानव को जैसे - जैसे पशु और खेती का ज्ञान हुआ तों वह गड़रिया कहलाए | आज इस समुदाय को उत्तरी भारत क्षेत्र में पाल , बघेल ,धनगर , भेड़िहार , गड़रिया तथा दक्षिण भारत में कुरूबा , कुरुमा , गौंडर कुरूबन आदि नामों से जाना जाता है।  गडरिया समुदाय का इतिहास बहुत पुराना व प्राचीन हैं।  गड़रिया संस्कृति एक अलग ही संस्कृति है । शिवपुराण में गड़रिया का वर्णन 3 बार दर्शाया गया है।  रामायण , बाइबिल , कुरान , पंथ , में भी  गड़रिया समुदाय  का वर्णन है ।  अन्य समुदाय गड़रिया समुदाय से ही है। भारत के सभी समुदाय गड़रिया समुदाय से ही निकालकर आए हैं ।  गड़रियों का इतिहास पाल राजवंश होलकर राजवंश संगम राजवंश पल्लव राजवंश मौर्य राजवंश

दुनिया की सबसे पहली जाति गड़रिया

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 दुनिया की सबसे पहली जाति गड़रिया है जिसे अन्य जातियां व धर्म निकलकर आए हैं | दुनिया की पहली जाति का दर्जा गड़रिया समुदाय को मिला क्योंकि नवपाषाण के आदिमानवों को सबसे पहले पशुपालक का ज्ञान हुआ जिसे वे एक पशुपालक गड़रिया समुदाय में बट गये |

क्रांतिकारी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मामकौर पाल गड़रिया

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मामकौर गड़रिया जब भी भारत की आजादी में स्वतंत्रता सेनानी महिलाओं का नाम आता है तो उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में जन्मीं व मुजफ्फरनगर की सबसे लीडर महिला स्वतंत्रता सेनानी में मामकौर पाल का नाम सबसे ऊपर आता है | 1857 ई. की क्रांति में मामकौर पाल या मामकौर गड़रिया भी आजादी की जंग में सबसे आगे रहीं। उनके जत्थे में 250 महिलाएं थी, जो पुरुष वेश में रहती थी। मुजफ्फरनगर शहर में हमले के बाद अंग्रेजों ने मामकौर को पकड़कर फांसी पर लटका दिया था। मामकौर भारत की ऐसी पहेली भारतीय महिला थी जिन्हें फांसी सजा मिली |

महाराजा तुकोजीराव होल्कर × Kshatriya Gadariya

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Kshatriya Gadariya

गडरिया समाज के कुछ बड़े नेता मुख्यमत्री उपमुख्यमंत्री राज्यपाल राज्यमंत्री कैबिनेट मंत्री * गडरिया समाज * Gadariya Sarkar *Kshatriya Gadariya

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गडरिया समाज के कुछ बड़े नेता मुख्यमत्री उपमुख्यमंत्री राज्यपाल राज्यमंत्री कैबिनेट मंत्री × Gadariya Sarkar * Kshatriya Gadariya